Friday, November 7, 2008

वो दोस्ती जो इसे मुकाम पे आ जायेगी,
जहा चलना और रुकना,
हसना और रोना,
गिरना और संभलना,
रो के सिमटना और हसके बहेकना,
सब जायझ हे,
ये रास्ता,
जो गमोसे दूर खुशियों का ठिकाना हे,
बस ये दोस्ती,
जो झिंदगी हे,
मेरी अपनी झिंदगी,,,




2 comments:

Arvind Patel said...

खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,

तकरार् भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,

रूठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,

बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,

जीन्दगी की शुरुवात भी दोस्तो से है,
जीन्दगी मे मुलकात भी दोस्तो से है,

काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,

खयाल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,

ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहोल भी दोस्तो से है,

यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,

सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,

या यू कहू यारो...
आपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

Krishna The Universal Truth.. said...

hmmmm ekdum sachi vat che vadhu kaik lakh dosti mate nahito ek sa-ra-s...laafo padshe...hahahaha