Friday, November 7, 2008

तन्हाई का आलम हे,
यु तनहा छोड़ के ना जाया करो,
पिरोये थे कुछ सपने हमने,
यु उनको ना बिखराया करो,
गम-ऐ-बाज़ार की एन गलियों में,
यु मेरे गमो को ना बेचा करो,
आहटो से तेरी बने हे सिलसिले आहट के,
यु आहटो को तुम ना सुलगाया करो,
यु तन्हा छोड़ के ना जाया करो,,,

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